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सूरदास जी के पद


ऊधौ मन माने की बात
दाख छुहारा छांडि अमृत फल विषकीरा विष खात॥
ज्यौं चकोर को देइ कपूर कोउ तजि अंगार अघात
मधुप करत घर कोरि काठ मैं बंधत कमल के पात॥
ज्यौं पतंग हित जानि आपनौ दीपक सौं लपटात
सूरदास जाकौ मन जासौं सोई ताहि सुहात॥

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1 Comments

Abhinav ji

08-Feb-2023 08:24 AM

Nice

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